महाराष्ट्र के उपमु्ख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुलकर महाविकास अघाड़ी सरकार को गिराने में अपनी भूमिका स्वीकार कर रहे हैं। वह इसे ‘बदला’ बता रहे हैं। हालांकि, उनकी इस बात पर राजनीतिक दल खासी आपत्ति जता रहे हैं। साथ ही उनके इस कदम के कुछ राजनीतिक कारण भी गिनाए जा रहे हैं। जून-जुलाई में एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना के करीब 40 विधायकों ने बगावत की थी। इसके बाद राज्य की गठबंधन वाली एमवीए सरकार गिर गई थी।
एक मराठी चैनल को दिए इंटरव्यू में फडणवीस ने कहा, ‘अगर कोई मुझे धोखा देगा, तो मैं बदला लूंगा। हां, मैंने बदला लिया है।’ उन्होंने समझाया, ‘आपके साथ सत्ता का सुख लेने वाले, आपके साथ हमेशा रहने वाले और आपके साथ ही चुने जाने वाले अगर पीठ में छुरा मारेंगे, तो राजनीति में आपको जिंदा रहने के लिए जवाब देना होगा। नहीं तो आप राजनीति में जीवित नहीं रह सकते। राजनीति में आपको अच्छा रहना चाहिए। लेकिन अगर कोई आपके अच्छे होने का फायदा उठा रहा है और धोखा दे रहा है, तो ऐसे लोगों को उनकी जगर दिखानी चाहिए। मैंने उन्हें उनकी जगह दिखाई है। और मुझे अपने आप पर गर्व है। अगर आप मुझे धोखा दोगे, तो मैं बदला लूंगा।’
फडणवीस ‘धोखे’ के तार उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने वाली बात से जोड़ते हैं। शिवसेना (अब शिवसेना- उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर साल 2019 में सरकार बनाई थी। उद्धव ने आरोप लगाए थे कि भाजपा ने उनकी पार्टी को मुख्यमंत्री पद देने का वादा तोड़ा था, जिसके चलते वह फैसला लिया गया था।
शिवसेना से गठबंधन टूटने पर दुखी था भाजपा नेतृ्त्व?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शिवसेना के साथ दशकों पुराना गठबंधन टूटने के चलते कथित तौर पर भाजपा नेतृत्व फडणवीस से दुखी हो गया था। एक भाजपा नेता ने कहा, ‘पार्टी में ऐसा महसूस किया जा रहा था कि फडणवीस के बजाए नितिन गडकरी को हालात संभालने के लिए भेजा जाना चाहिए था। यह फडणवीस के लिए दोहरे झटके की तरह था। तब से ही फडणवीस पलटवार करने और अपना राजनीतिक ताकत साबित करने का मौका तलाश रहे थे।’
रिपोर्ट में पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि शिवसेना में फूट फडणवीस के लिए दल के अंदर और बाहर अपने विरोधियों को जवाब देने का मौका था। हाल ही में एक मीडिया कार्यक्रम के दौरान फडणवीस ने कहा था, ‘जब हम विपक्ष में थे, तो जिस तरह का बर्ताव हमारे साथ शिवसेना ने किया, जिस तरह उद्धव ठाकरे ने हमारी पीठ पर छुरा मारा, हम बदला लेने का मौका देख रहे थे। अगर कोई बगावत करने का फैसला करता है, तो हम उसे पीछे जाने के लिए नहीं करेंगे। हमने 100 फीसदी समर्थन दिया। मुझे खुशी है कि जो अन्याय मेरे साथ हुआ, हमने उसका बदला लिया।’