विधानसभा चुनाव-2022 में एक बार फिर से राज्य में छोटे दलों की सियासी अहमियत बढ़ चढ़कर दिख रही है। भाजपा और सपा जैसे बड़े दलों के साथ जुड़कर खास जाति और क्षेत्रीय जनाधार वाले राज्य के छोटे दल अपनी राजनीतिक हैसियत बढ़ाने की कोशिश में हैं। बड़े दलों ने भी इनकी ताकत को महसूस किया है और अपने साथ जोड़ने का काम किया है।
इन छोटे दलों के लिए परीक्षा भी है यह चुनाव
इस चुनाव में ब़ड़े दलों के साथ गठबंधन का हिस्सा बने रालोद, अद (एस), सुभासपा, निषाद पार्टी, पीस पार्टी, अद (कमेरावादी), प्रगतिशील समाजवादी पार्टी चुनावी नतीजों में उलटफेर का ब़ड़ा कारण बन सकते हैं। ये दल पिछले चुनावों में भी अपना थोड़ा बहुत असर दिखाते रहे हैं।
छोटे दलों की नजर गठबंधन में मिलने वाली सीटों पर
आयोग ने अब चुनाव की तिथियां घोषित कर दी है लिहाजा अगले कुछ दिनों के अंदर ही गठबंधन के तहत यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि छोटे दलों को कितनी सीटें मिल रही हैं। हालांकि गठबंधन के प्रमुख दलों ने इन दलों ने नेताओं ने सीटों को लेकर भारी मांग कर रखी है। छोटे दलों को जोड़ने की जंग में समाजवादी पार्टी ने भी इस चुनाव में भाजपा से आगे निकलते हुए छोटे दलों को जोड़ा है। रालोद, सुभासपा, महान दल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनवादी पार्टी, गोंडवाना पार्टी, अपना दल (कमेरावादी) तथा कांशीराम बहुजन मूल निवास पार्टी को अपने साथ जोड़ चुकी है।
भाजपा के साथ आने से बढ़ी अद (एस) की सियासी हैसियत
2017 में नौ विधायकों के साथ अपना दल ने विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज की। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इस दल से दो-दो सांसद चुने गए। पूर्वांचल, बुंदेलखंड, मध्य उत्तर प्रदेश और पश्चिम में बरेली और रामपुर के आसपास के क्षेत्रों में पार्टी ने 145 सीटों का चयन किया है। इन सीटों पर कुर्मी बिरादरी की अच्छी तादाद है।
सपा के साथ बड़ी लकीर खींचने की कोशिश में राजभर
ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से हुए गठबंधन के कारण चार सीट जीती। इस दल की खास ताकत नेता ओम प्रकाश राजभर की लच्छेदार भाषणबाजी भी है। ठेठ गंवई अंदाज में वह अपनी बिरादरी के लोगों को आकर्षित करते हैं।
संजय निषाद के सामने मझवार बिरादरी को भाजपा के लिए लामबंद करने की चुनौती
निषाद पार्टी के साथ भाजपा ने गठबंधन किया है। भाजपा ने अध्यक्ष डा. संजय निषाोद को एमएलसी बनाया। निषादों के आरक्षण के मुद्दे को हल करने का वादा भी किया है। निषाद पार्टी ने इस चुनाव में भाजपा से करीब दो दर्ज सीटें मिलने की उम्मीद लगा रखी है। निषाद पार्टी इस चुनाव में भाजपा के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है। इनके बेटे प्रवीण निषाद भाजपा से सांसद हैं।