मेरठ के विभागीय आंकड़े बताते हैं कि जिले में औसतन हर दिन एक नाबालिग दुष्कर्म की शिकार हो रही है, जबकि 70 फीसदी महिलाएं मानसिक हिंसा झेल रही हैं। घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं का आंकड़ा भी कम नहीं है। महिलाओं के प्रति किसी भी तरह की हिंसा को रोकने और लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 25 नवंबर को दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस आयोजित होता है।
बढ़ रहे पॉक्सो एक्ट के मामले
जिले में पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामले बढ़ते जा रहे है। आंकड़ों के मुताबिक बीते एक साल में तीन सौ से अधिक मामले यहां दर्ज हो चुके हैं। कम उम्र में लड़कियों के साथ हो रही भावनात्मक, शारीरिक और यौन हिंसा उन्हें मानसिक रूप से उन्हें बीमार बना रहा है। उनमें आत्महत्या करने की मानसिकता तक पैदा कर रहा है। नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम की स्टडी के अनुसार 133 मामलों में से आत्महत्या के मुहाने पर पहुंचे 13.53 मामले ऐसे ही पाए गए।
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बाल विवाह को मजबूर की जा रहीं बेटियां
जिले में पढ़ने-लिखने की उम्र में जबरन बेटियों के हाथ पीले करने के मामले भी कम नहीं हैं। बीते दो वर्षों में 40 से अधिक मामले सामने भी आ चुके हैं। ये ऐसे मामले हैं, जिनकी जानकारी मिलने के बाद इन्हें रोका जा सका जबकि गांव-देहात में बाल-विवाह अनवरत जारी है।
पति का गलत व्यवहार कर रहा बीमार
महिलाओं के साथ पति का दोयम दर्जे का व्यवहार उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार बना रहा है। नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम की स्टडी में इसका खुलासा भी हुआ है। मनकक्ष व मानसिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंची तीन हजार महिलाओं पर हुई स्टडी में करीब 60 फीसदी महिलाएं ऐसी सामने आई, जो पति के गलत व्यवहार व अनदेखी की वजह से लगातार अवसाद में पहुंच रही हैं।