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Friday, April 19, 2024
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कोरोना काल में हजारों कामगारों ने इलाज के लिए ईपीएफ से निकाले रुपए, बुढ़ापे की चिंता छोड़ जान बचाने पर हुए मजबूर

 

दरअसल, कोरोना संक्रमण के मौत, मातम और मुश्किलात के इस दौर में कामगारों के बुढ़ापे की लाठी संभालने वाले ईपीएफ दफ्तर में अलग ही विडम्‍बना नज़र आ रही है। हालात कितने विकट हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले दो महीने के दौरान ऐसा कोई दिन नहीं गुजरा जब भविष्य निधि कार्यालय में रुपये निकालने के लिए कामगारों की अर्जियां न आई हों। इनमें से ज्‍यादातर अर्जियों में वजह के तौर पर इलाज का खर्च दर्ज था। अब तक करीब पांच हजार कामगार 14.20 करोड़ रुपए से ज्‍यादा की रकम ईपीएफ खाते से एडवांस के रुप में निकाल चुके हैं। यह सिलसिला बदस्‍तूर जारी है।

बीते मार्च माह में परिक्षेत्र से 2945 कामगारों के ऑनलाइन आवेदन आए। इन आवेदनों पर 7.92 करोड़ रुपये ईपीएफ से अग्रिम के तौर पर जारी किए गए। वहीं बीते अप्रैल में 2146 ऑनलाइन आवेदन पत्र ईपीएफ कार्यालय को मिले। आयुक्त समेत अन्य कर्मचारियों के संक्रमित होने के बाद भी सभी आवेदन पत्रों का ऑनलाइन निस्तारण कर 6.28 करोड़ रुपये कामगारों के खाते में भेज गए।

एक अधिकारी बताते हैं कि ज्‍यादातर कामगारों ने खुद, पत्‍नी या बच्‍चों के इलाज के मद में रकम निकाली है। वह कहते हैं, ‘यह महामारी का दौर है। लोगों को मौत सामने दिखाई पड़ रही है। ऐसे में भविष्‍य की चिंता कौन करता है। शायद कामगारों के पास दूसरा कोई विकल्‍प भी नहीं है।’

 

इतने कामगारों ने एडवांस लिए

माह            कामगारों की संख्या            रकम

मार्च-21 2945             7.92 करोड़

अप्रैल-21 2146             6.28 करोड़

2500 कामगारों ने शादी व घर बनाने के लिए 15 करोड़ निकाले

ईपीएफ कार्यालय के मुताबिक गोरखपुर परिक्षेत्र के करीब 2500 कामगारों ने बेटी की शादी व मकान निर्माण के मद में ईपीएफ खाते से 15.28 करोड़ रुपये एडवांस लिया है। यह सभी आवेदन भी मार्च व अप्रैल माह में कार्यालय को मिले। वरियता के आधार पर सभी के आवेदन पत्रों को स्वीकृति दी गई। सभी आवेदन आनलाइन प्राप्त होने से निस्तारण में सुविधा मिली। मैनुअल आवेदन पत्रों के निस्तारण में थोड़ी दिक्कत थी।

दो माह के दौरान परिक्षेत्र के 12 जनपदों के 5 हजार से अधिक कामगारों ने ईपीएफ से एडवांस के लिए ऑनलाइन आवेदन किया। इनमें से ज्यादातर आवेदनों में एडंवास लेने की वजह इलाज बताई गई थी। संकट के इस दौरान में बिना देर किए ही सभी आवेदन पत्रों को स्वीकृत कर उन्हें फौरी तौर पर राहत देने की कोशिश की गई।

मनीष मणि, आयुक्त, कर्मचारी भविष्य निधि गोरखपुर परिक्षेत्र

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