हर्षित सिंह
वैश्विक महामारी के चलते प्रदेश सरकार द्वारा लगभग 1 महीने का लॉकडाउन पूरे प्रदेश में लगया गया था।
हालांकि इस बीच तय समयानुसार कुछ दुकानों को खोलने की अनुमति भी सरकार द्वारा दी गई थी।
लेकिन उन लोगो का क्या जो इस दायरे में नही आते जैसे मज़दूर, ठेली वाले, पल्लेदार आदि तमाम तरह के लोग हैं जिनको 2 जून की रोटी के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। हालांकि सरकार की तरफ से राशन का भी बंदोबस्त किया गया था लेकिन कुछ जगहों पर वह भी हवा हवाई साबित हुआ।
इस महामारी में हमने कई अपनो को खो दिया तो वहीं देश भर में कई बच्चे अनाथ हो गए जिनके मां बाप दोनों ही इस महामारी का शिकार हो गए। मन मे एक डर लिए हम ज़िन्दगी के हर लम्हे को गुज़ार रहे थे।
समय बीतता गया और 30 मई को सरकार ने फारमन जारी किया कि कुछ जिलों को छोड़कर सभी जगह लॉकडाउन को हटाया गया। लोगो मे खुशी तो है लेकिन कहीं न कही दुःख भी है, दुःख हो भी न क्यों कुछ अपने जो छूट गए, कुछ सपने जो टूट गए।
हालांकि 1 जून से लॉकडाउन खुलते ही लोग फिर से उसी उत्साह से साथ रोजी रोटी की तलाश में जुट गए हैं।
हमे उम्मीद है कि एक दिन ऐसा आएगा जब गली में एम्बुलेंस नही स्कूल की बसें होंगी, जब कंधो पर ऑक्सीजन के सिलेंडर नही आफिस का बैग होगा।
एक दिन ऐसा आएगा जब पेपर के साथ पापा को काढ़ा नही चाय मिलेगी।
एक दिन ऐसा आएगा जब बच्चों के हाथ मे कैरम और लूडो नही बैट और बॉल होगी, मैदानों में सन्नाटा नही शोर का होगा।
एक दिन ऐसा आएगा जब शहरों की सारी पाबंदिया हट जाएंगी और फिर से त्यौहार होगा।
सलाम इंडिया आप सभी पाठकों के स्वस्थ्य भविष्य की कामना करता है।
1 जून से ‘2 जून’ की रोटी के जुगाड़ में निकले लोग।

