नोट :- यह लेख अनुरुद्ध द्विवेदी के फेसबुक वॉल से लिया गया है। लोगो की भावनाओ को समझते हुए सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए।
विशेष। कोविड मरीजों के विषय में यदि सरकार एक निर्णय और ले लेती तो शायद बहुत लोग बच जाते।वह यह कि कोविड मरीज से उसके घर वाले मिल सकते हैं।चाहे वह 10 मीटर दूर से ही मिलें।
हो क्या रहा है यह जानिए..
मरीज एडमिट होता है। उसके बाद घर वालों से कह दिया जाता है आप लोग घर जाइये। मेरे छोटे भाई की पत्नी डॉ राम मनोहर लोहिया के कोविड हॉस्पिटल में एडमिट हुईं।वहां मेरे छोटे भाई से कह दिया गया कि आप घर जाइये।यद्यपि वह नहीं गया। आज भी लखनऊ में ही है।
सरकार ने एक सुविधा दे दिया है कि मोबाइल फोन मरीज के पास रह सकता है। लेकिन जब मरीज को 24 घंटे ऑक्सीजन लगी हो तो वह कैसे बात कर पायेगा। मेरे छोटे भाई की पत्नी को 24 घंटे ऑक्सीजन लगी है। फोन बात करने का प्रयास करती है लेकिन बात नहीं हो पाती है। वह कुछ बोल ही नहीं पाती है। लेकिन यदि 10 मीटर दूर से ही सही मिलने की व्यवस्था होती तो मरीज को अपने किसी को देख लेने मात्र से उसके तन-मन में ऑक्सीजन भर जाती।
जरा सोचिए यदि मरीज को यह पता हो कि उसके आसपास उसके घर का कोई है ही नहीं तो वह टूट जाएगा। उसका मनोबल कमजोर पड़ जायेगा। ऐसे में यदि मरीज से मरीज के घर के किसी सदस्य को दिन भर में एक बार सिर्फ चेहरा दिखा दिया जाय। शीशे के बाहर से ही सही उस मरीज को और घर वालों दोनों को एक उम्मीद बनी रहेगी कि सब ठीक चल रहा है। अंततः मेरे छोटे भाई अरविंद कुमार द्विवेदी (साधू) की पत्नी का आज अभी देहांत हो गया।
तस्वीर फेसबुक से ही लिया है। इस तस्वीर से मेरी पोस्ट की बात के मर्म को समझने का प्रयास कीजिये।
अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज व उनके परिवार की भावनाओं को समझे सरकार – अनुरुद्ध द्विवेदी

