
अपने घर की ख्वाहिश लिए आदमी अपनी जिंदगी भर की कमाई एक फ्लैट में लगा देता है। ये सोचकर कि अपने मकान में रहेंगे लेकिन कैसा लगेगा आपको ये जानकर की जिस फ्लैट में आप रह रहे हैं वहां किसी भी वक्त मौत आ सकता है। सारी जमा पूंजी लगाकर जिस फ्लैट में आप खुशी-खुशी रहने आए वो कभी भी गिर सकता है। ये जानकर आपको कैसा महसूस होगा? गुरुग्राम में रहने वाले हजारों लोग हर रोज ऐसे ही हर रोज खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं। दरअसल गुरुग्राम के कई अपार्टमेंट्स इतनी जर्जर हालत में हैं कि कभी भी गिर कसते हैं। बिल्डिंग के बाहर से ही दीवारों में दरारें नजर आ रही है. प्लास्टर झड़ रहा है। ईंट नजर आ रही है. ईंट, सीमेंट और बालू इतने चालू किस्म का है तो सरियों का अंदाजा आप लगा ही सकते हैं कि वो कितने मजबूत होंगे।
हर रोज मौत के साए में जिंदगी जी रहे गुरुग्राम वासियों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। एक अंग्रेजी चैनल को दिए इंटरव्यू में गुरुग्राम के टाउन प्लानर चंद्रशेखर प्रभु बताते हैं कि बिल्डर, नेता और अफसर और कुछ हद तक अंडरवर्ल्ड की मिलीभगत ने आज हजारों लोगों को मौत के मुंह तक लाकर खड़ा कर दिया है। डीटीसीपी अधिकारी कहते हैं कि सरकार की तरफ से कोई ऐसी एजेंसी नहीं है जो बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के समय उसकी क्वॉलिटी चेक कर सके।
गुरुग्राम की एक ऐसी ही बिल्डिंग में रहने वाले शख्स के मुताबिक बिल्डर ने उनसे वादा किया था कि ये बिल्डिंग पचास साल कहीं नहीं जाएगी लेकिन चार साल में ही वो बिल्डिंग जर्जर हालत में है। उन्होंने कहा कि सीएमडी ने लोगों को भरोसा दिलाया था कि उनके पैसे वापस होंगे लेकिन अभी तक इस मामले पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। बड़ा सवाल ये है कि जिंदगी भर की जमा पूंजी और फिर लोन की किश्त भरते हुए आखिरकार आदमी को क्या मिलता है? लोगों का कहना है कि सेफ्टी ऑडिट सिर्फ एक कागज का टुकड़ा भर होती है। असल में बिल्डिंग में इतना घटिया मैटेरियल लगाया गया है कि वो सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट की धज्जियां उड़ा रहा है।