मध्य प्रदेश के सागर जिले में लगभग एक साल पहले ब्राह्मण समुदाय के एक सदस्य की बेटी और ओबीसी समुदाय के एक व्यक्ति को उनके कथित अफेयर सामने आया था। जिसके बाद उसके घर को तोड़ा गया और उसके साथ एक तनाव का माहौल बन गया था। अब ऐसा ही कुछ तनाव भाजपा द्वारा प्रीतम लोधी को बर्खास्त करने के बाद पूरे राज्य में पहुंच गया है।
दरअसल पूर्व भाजपा विधायक प्रीतम लोधी ने आपत्तिजनक बयान दिया था कि ब्राह्मण और स्वयंभू आध्यात्मिक नेताओं ने महिलाओं को बेवकूफ बनाया और उन्हें पैसे खर्च करने के लिए मजबूर किया। जिसके बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर दिया। लोधी ने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण से हाथ मिलाया और कथित अन्याय के खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया।
इस बीच, शिवपुरी के चित्रापुर गांव में मुख्य रूप से लोधी समुदाय के स्थानीय लोगों ने किसी भी ब्राह्मण को किसी भी काम के लिए आमंत्रित नहीं करने का फैसला किया है। उन्होंने इस नियम को तोड़ने पर 2100 रुपये के जुर्माने का भी ऐलान किया है। ऐसे में अब ओबीसी महासभा राज्य सरकार के खिलाफ 4 सितंबर को बांदा सागर में महापंचायत करने जा रही है।
बता दें कि मध्य प्रदेश में लगभग 52 फीसदी आबादी वाले ओबीसी अब भाजपा की चिंता बढ़ा रहे हैं। भाजपा 2003 में ओबीसी वोटों के समर्थन से सत्ता में आई थी खासकर लोधी के समर्थन से जिसका मप्र की 40 सीटों पर मजबूत प्रभाव है। जिसकी मदद से उमा भारती मुख्यमंत्री बनीं। बाद में उनकी जगह एक अन्य ओबीसी नेता बाबूलाल गौर को लाया गया और गौर की जगह शिवराज सिंह चौहान को लिया गया। लगातार तीन बार भाजपा की जीत सुनिश्चित करने में ओबीसी मतदाताओं ने अहम भूमिका निभाई।
जानकारों का कहना है कि भाजपा को इस मुद्दे से निपटने के लिए मजबूत रणनीति बनानी होगी क्योंकि यह अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए खतरनाक हो सकता है। इस बीच भाजपा ने नुकसान को नियंत्रित करने के लिए ग्वालियर से पूर्व विधायक नारायण सिंह कुशवाहा को पार्टी के ओबीसी विंग के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में घोषित किया।