
चीन के विदेश मंत्री वांग यी 24 मार्च की शाम अचानक से नई दिल्ली पहुंचे हालांकि उनके भारत संभावित दौरे की अपुष्ट खबरें कुछ दिनों से आ रही थीं। वांग यी भारत के राष्ट्रीय रक्षा सलाहकार अजित डोभाल और विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर से मिल रहे हैं। यह साफ नहीं है कि वह पीएम मोदी से मिलेंगे या नहीं लेकिन रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीनी पक्ष चाहता है कि यह मुलाकात हो।
वांग यी यह दौरा पिछले करीब दो साल से पूर्वी लद्दाख सेक्टर में दोनों देशों के बीच गतिरोध के बीच आया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि वांग यी किस मकसद से नई दिल्ली पहुंचे हैं? आइए जानते हैं कि एक्सपर्ट्स इस मसले पर क्या कह रहे हैं।
ब्रिक्स सम्मेलन?
भारत चीन संबंधों पर नजर रखने वालों का मानना है कि ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी अबकी चीन को करनी है। पिछले 2 समिट वर्चुअल हुए थे लेकिन अबकी ब्रिक्स नेता चीन में मिलने वाले हैं। ऐसे में चीन नहीं चाहता है कि पीएम मोदी चीन न आएं। ब्रिक्स सम्मेलन में भारत के न जाने से समिट की सक्रियता पर सवाल उठ सकते हैं क्योंकि भारत इस ग्रुप का महत्वपूर्ण सदस्य है।
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि चीन में आखिरी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन सितंबर 2017 में हुआ था, उसमें पीएम मोदी ने भाग लिया था। इस सम्मेलन में मोदी भाग लें इसलिए सम्मेलन से करीब ढाई महीने पहले डोकलाम मसले को सुलझा लिया गया था।
यूक्रेन और अफगानिस्तान?
रिपोर्ट्स बताती हैं कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद एक बार फिर से नए-नए खेमे तैयार हो रहे हैं। भारत ने अब तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का खुलकर विरोध नहीं किया है। ऐसे में चीन को लगता है कि भारत अब भी पश्चिमी देशों के पाले में पूरी तरह से नहीं गया है। इस हालात में चीन भारत के साथ एक नई शुरुआत की ओर देख रहा है। चीन यूक्रेन के साथ ही अफगानिस्तान पर भारत से बातचीत करना चाहता है।
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल
भारत से लेकर संबंधों और बॉर्डर पर जारी गतिरोध को लेकर चीन का कहना रहा है कि नई दिल्ली और बीजिंग के संबंध कई स्तर पर हैं। चीन ने लगातार कहा है कि सीमा विवाद को उचित रूप से संभाला जाना चाहिए और द्विपक्षीय संबंधों की बड़ी तस्वीर को ध्यान में रखा जाना चाहिए। लेकिन भारत का स्टैंड इस मसले पर अलग है। नई दिल्ली ने लगातार कहा है कि बॉर्डर की स्थिति ने द्विपक्षीय संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है ऐसे में दोनों चीजों को अलग-अलग नजरिए से नहीं देखा जा सकता है।
आसान भाषा में कहें तो चीन का कहना है कि बॉर्डर पर काम करते रहेंगे पहले बिजनेस आदि देखते हैं वहीं भारत का कहना है कि पहले बॉर्डर पर जारी गतिरोध खत्म हो और फिर कोई बात हो। एक्सपर्ट्स का मानना है कि वांग यी का यह दौरा यूक्रेन को लेकर बदल रहे जियोपॉलिटिकल हालात और रूस को अलग-थलग करने की कोशिशों को रोकने आदि पर है वहीं भारत की प्राथमिकता लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल है।