रामजानकी नगर निवासी 85 साल की विमला चौरसिया मरने के बाद अमर हो गईं। उनकी दोनों आंखें दो लोगों के जीवन को रोशन करेंगी। इतना ही नहीं उनकी देह बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के छात्रों की पढ़ाई के काम आएगी। रामजानकी नगर निवासी 86 वर्षीय पारसनाथ चौरसिया की पत्नी विमला का गुरुवार को तड़के निधन हो गया। जलनिगम से सेवानिवृत्त पारसनाथ और विमला की कोई संतान नहीं है।
दंपति ने पांच साल पहले देहदान करने का संकल्प लिया। पारसनाथ ने बताया कि देहदान की प्रेरणा कानपुर के युग दधीचि देहदान संस्थान से मिली। इसके संचालक मनोज सेंगर से संपर्क किया। उनकी प्रेरणा से चार अक्तूबर 2017 को दोनों ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एनॉटमी विभाग में देहदान और नेत्रदान का संकल्प पत्र भरा था।
गुरुवार को पत्नी के निधन के बाद पारसनाथ ने एनॉटमी विभाग में अध्यक्ष डॉ. बिन्दू सिंह और डॉ. योगेन्द्र सिंह को सूचित किया। मेडिकल कॉलेज से दयाशंकर उपाध्याय, मधुर और धीरेन्द्र पटेल की टीम पारसनाथ के घर पहुंची। एनॉटमी की टीम ने नेत्ररोग विभाग को सूचित किया। नेत्ररोग विभाग की टीम ने कार्निया निकालकर सुरक्षित किया। पारसनाथ ने कहा कि दोनों ने देहदान का संकल्प लिया था पत्नी को पहले मौका मिला। उन्होंने बताया कि तीन अन्य लोगों को देहदान के लिए प्रेरित कर रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं।
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राष्ट्रपति से सम्मानित हो चुके हैं पारसनाथ पारसनाथ चौरसिया मूल रूप से संतकबीर जिले के धनघटा के गाईं बसंतपुर के निवासी है। साल 1958 में जलनिगम में चतुर्थ श्रेणी में तैनात हुए। उसी वर्ष शादी हुई। सालभर बाद वह गोरखपुर में रहने लगे। वर्ष 1997 में कैशियर के पद से सेवानिवृत्त हुए। वर्ष 1991 में हुई जनगणना में बेहतरीन कार्य के लिए उन्हें राष्ट्रपति सम्मानित कर चुके हैं।