कानपुर। कल्पना कीजिए कि भारी बारिश के बीच आप रोडवेज की बस से यात्रा कर रहे हों और रास्ते में टायर पंचर हो जाए, तो क्या होगा। चलिए छोड़िए…कल्पना करने की जरूरत ही नहीं है। हकीकत में ऐसा हो रहा है। बारिश शुरू होते ही रोडवेज बसों के टायर रास्ते में दगा देने लगे हैं। हिसाब लगाएं तो हर आठवीं बस का टायर पंचर हो रहा है या फिर फट ही जाता है। इसके चलते यात्रियों की यात्रा ब्रेक होती है या फिर टायर ठीक होने तक वहीं पर इंतजार करते हैं। रोडवेज अफसरों ने इसके लिए सड़कों के गड्ढों के नुकीले पत्थरों और कीलों को जिम्मेदार बताया है।
दरअसल, कानपुर रीजन में 545 बसों का बेड़ा है। इनमें से 60 बसें एसी हैं। आठ से दस फीसदी बसें मेंटीनेंस या फिर अन्य वजहों से डिपो या कार्यशाला में रहती हैं। इस कारण रोज औसतन 475 से 485 बसें ही सड़क पर होती हैं। इनमें से 58-60 बसों के टायर सातों रीजन में दगा दे रहे हैं। सबसे अधिक दिक्कतें ग्रामीण रूटों पर चलने वाली बसों में आ रही हैं। ये हैं कानपुर रीजन के डिपो : विकासनगर, आजादनगर, किदवईनगर, चुन्नीगंज (फजलगंज), फतेहपुर, उन्नाव, माती।
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गर्मी से तीन, सर्दी से चार गुना अधिक बर्स्ट हो रहे टायर
रोडवेज अफसरों ने बताया कि मौजूदा सीजन में कानपुर रीजन (सात डिपो) में औसतन 58-60 बसों के टायर रास्ते में दगा दे रहे हैं। गर्मी में 19-20 तो सर्दी में 13-15 बसों के टायर रास्ते में दगा देते हैं। इस बार तो पिछली बारिश की तुलना में भी अधिक टायर दगा दे रहे हैं।
यात्रियों संग कंडक्टर, ड्राइवरों पर भी असर
डिपो से निकलने के बाद यदि रास्ते में बस का टायर पंचर होता है तो कंडक्टर पैसा देकर उसे बनवाने का इंतजाम करता है। इसमें ड्राइवर को आना-जाना पड़ता है। कंडक्टर इसका बिल बनाकर वापसी में बेवलपत्र के साथ देता है तो उसका भुगतान होता है। इसका मतलब यात्रियों को तो दिक्कतें होती ही है, साथ ही स्टाफ को भी मुसीबत होती है।