शराब की दीवाने सरकारी कोष में बढ़ोतरी करने के साथ ही गो-सेवा पर के लिए भी जमकर रकम दे रहे हैं। आबकारी विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रति वर्ष लगभग 400 करोड़ रुपये काऊ सेस से आय हो रही है जिसे गोशालाओं के लिए खर्च किया जाता है। प्रदेश सरकार ने जनवरी 2019 में आबकारी के तमाम करों में काऊ सेस को जोड़ा था। उस साल प्रत्येक शीशी पर 50 पैसे की दर से इसे लागू किया गया, जबकि बार में एक बोतल पर 10 रुपये की दर से काऊ सेस को लागू किया गया था।
प्रीमियम शराब की प्रति बोतल पर पांच रुपये की दर से की जा रही है वसूली
लक्ष्य था कि इससे सालाना 156 करोड़ से अधिक की आय प्राप्त होगी लेकिन पहले ही साल में 300 करोड़ से अधिक की आय सेस से प्राप्त हुई। इसके बाद इसे प्रीमियम शराब की बोतल पर लागू रखने का निर्णय लिया गया। प्रीमियम शराब की बोतल पर पांच रुपये प्रति बोतल और बार में 10 रुपये प्रति बोतल की दर से लागू किया गया। इससे वर्ष 2020 में 425 करोड़, वर्ष 2021 में 475 करोड़ और वर्ष 2022 में 490 करोड़ रुपये की आय प्राप्त हुई। आबकारी विभाग के अफसरों का कहना है कि प्रति वर्ष 80 से 90 लाख प्रीमियम शराब की बोतलें बिक जाती हैं। ऐसे में आय अच्छी प्राप्त होती है।
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इसलिए की थी शुरुआत
2018 में जब गोवंशों के लिए गोशालाओं का निर्माण हुआ तो इसके लिए बजट की आवश्यकता था। ऐसे में प्रदेश सरकार ने आबकारी नीति में यह बंदोबस्त किया। आंशिक बढ़ोतरी के बाद गोशालाओं के लिए अच्छा खासा बजट भी जुटा। इसका उपयोग गोशालाओं के लिए किया गया।
आगे भी रहेगी व्यवस्था
पहले योजना केवल एक वर्ष के लिए शुरू की गई थी, लेकिन इससे प्राप्त राजस्व अच्छा रहा। ऐसे में इसे बाद के वर्षों में लगातार बढ़ाया गया। अफसरों का कहना है कि आगे भी इसे लागू रखने की बात है। क्योंकि आंशिक बढ़ोतरी का बहुत असर बाजार पर नहीं पड़ रहा है।