
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक अभियुक्त की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी। न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने अनिरुद्ध शुक्ला की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की कि काले धन के कारोबारियों के लिए जेल नियम है और जमानत अपवाद। कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक अपराध के साथ-साथ राष्ट्र के लिए भी खतरा है।
यह सफेदपोश अपराधियों द्वारा किया जाता है, जो समाज में अच्छी पैठ रखते हैं। न्यायालय ने कहा कि ऐसे अपराध विशुद्ध षड्यंत्र के साथ इस बात की परवाह किए बिना कि इसका समाज और देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा, अंजाम दिए जाते हैं। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि मनी लॉन्ड्रिंग निषेध अधिनियम के तहत अपराध मामलों में दंड प्रक्रिया संहिता प्रावधान लागू नहीं होते।
वर्ष 2005 से 2016 के बीच बैंक ऑफ इंडिया के कुछ बड़े अधिकारियों ने मिलीभगत कर आठ फर्जी हाउसिंग लोन पास किए थे। इसके बाद ये सभी लोन एनपीए हो गए। अभियुक्त ने भी सीनियर ब्रांच मैनेजर क्रेडिट आरके मिश्रा, विन्नी सोढ़ी उर्फ विक्रम दीक्षित के साथ साठगांठ कर फर्जी दस्तावेजों के सहारे लाखों रुपये हासिल किए थे।