कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता हत्याकांड में आरोपित 5 पुलिसवालों पर से हत्या की धारा हटाने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया है। इस मामले की सुनवाई अब सीबीआई कोर्ट में नहीं बल्कि दिल्ली हाईकोर्ट में होगी। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट से हत्या का आरोप हटने और उनके जमानत पर रिहा होने के बाद मनीष की पत्नी मीनाक्षी हाईकोर्ट पहुंची हैं।
दरअसल, इस मामले में सीबीआई कोर्ट से सिर्फ इंस्पेक्टर जेएन सिंह पर हत्या का आरोप तय होने के बाद बीते 10 जनवरी को 5 पुलिसकर्मी तिहाड़ जेल से जमानत रिहा हो गए। क्योंकि, इन पांचों के खिलाफ सिर्फ मारपीट और धमकी देने की धाराओं में आरोप तय हुआ है। वहीं, इंस्पेक्टर जेएन सिंह अभी तिहाड़ जेल में ही बंद हैं।
ऐसे में मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी की ओर से अधिवक्ता केके शुक्ला और कार्तिकेय माथुर ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। जिसमें एडवोकेट अमित जॉर्ज ने कोर्ट के सामने अपना तर्क दिया। याचिकाकर्ता का कोर्ट में तर्क था कि आरोप तय करने के समय याचिकाकर्ता को भी सुना जाना चाहिए था और अदालत की सहायता करने की अनुमति दी जानी चाहिए थी।
अधिवक्ता का कहना था कि आरोपी पर आईपीसी की धारा 302 और 34 के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए। इस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि 22 दिसंबर, 2022 और 9 जनवरी, 2023 के आदेशों का संचालन और प्रभाव और सुनवाई की अगली तारीख तक कार्यवाही पर रोक लगाई जाती है। इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई और आरोपियों को नोटिस भी जारी किया है। अब इस मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 3 मार्च की तारीख तय की है।
मनीष की पत्नी मिनाक्षी के अनुसार सीबीआई कोर्ट ने जो चार्ज फ्रेम किए थे उसे लेकर हाईकोर्ट में अपने वकील के जरिए मैंने अपील की थी। चार्ज फ्रेम करने की कार्यवाही पर हाईकोर्ट ने स्टे दिया है। दोबारा चार्ज को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।