वैवाहिक आयोजनों का दौर अगले सप्ताह से शुरू होने वाला है। लगन शुरू होने की सुगबुगाहट होते ही पूर्वांचल में 10, 20 और 50 रुपये की करेंसी की कालाबाजारी शुरू हो गई है। बैंक चेस्ट में नई करेंसी नहीं होने का फायदा कटे फटे नोट बदलने वाले उठा रहे हैं। दस की नई गड्डी के लिए ढाई गुणा रकम ले वसूल रहे हैं।
शादी-विवाह के सीजन में पूर्वांचल के जिलों में नई करेंसी की डिमांड भी बढ़ने लगी है। छोटे नोटों में दस रुपये के गड्डी की मांग अधिक होती है। पांच और दस रुपये के नए नोट बैंकों में नहीं मिल रहे हैं। वहीं बाजार में पांच रुपए की नई गड्डी के लिए करीब दो से तीन सौ रुपये तथा दस रुपये की नई गड्डी के लिए चार से पांच सौ रुपये वसूले जा रहे हैं।
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नोटों की माला और निमंत्रण से बढ़ी खपत
नई करंसी मांगलिक कायक्रमों में ही लोग शौक से इस्तेमाल करते हैं। इसकी सबसे ज्यादा खपत बाजार में बिकने वाली नोटों की माला में है। ऐसे में जहां छोटी करेंसी के नाम पर लोग पुराने नोटों की माला ही खरीद रहे हैं, क्योकि माला के दामों में भी उछाल है।
वाराणसी में चार सौ रुपये ज्यादा ले रहे एक गड्डी पर
दिवाली पर बनारस के 17 करेंसी चेस्टों में 500 करोड़ रुपये से अधिक की करेंसी आई थी। इसमें दस और 20 रुपये के भी नए नोट थे। लेकिन करेंसी ग्राहकों तक नहीं पहुंची। वहीं चौक, मैदागिन, नीचीबाग, लहुराबीर समेत कई बाजारों में कटे फटे नोट बदलने वाले मनमानी कीमत पर नई करेंसी दे रहे हैं। कटे-फटे नोट बदलने वाले का दवा किया कि कुछ व्यापारी लखनऊ, कानपुर के आरबीआई कार्यालय के काउंटर से नोट लाते हैं। जबकि कुछ स्थानीय स्तर मिलीभगत से करेंसी ले लेते हैं। गोदौलिया में कटे-फटे नोट का एक व्यवसायी एक रुपये की गड्डी के लिए ग्राहकों से 400 रुपये अतिरिक्त वसूल रहा है।