जिम्मेदार ही लगा रहे हैं परिषदीय शिक्षा व्यवस्था को पलीता
सभी शिक्षकों को बुला लिया गया है योग दिवस के कार्यक्रम में
अम्बेडकरनगर। मंगलवार को आठवां विश्व योग दिवस है। योग दिवस पर शासन प्रशासन रिकार्ड बनाने की तैयारी में है। रिकॉर्ड बनाने के चक्कर में परिषदीय विद्यालयों की चौपट शिक्षा व्यवस्था को और भी चौपट कर देने की तैयारी कर दी गई है।। इसकी बानगी शिक्षा विभाग और प्रशासन का मौखिक फरमान है। मौखिक फरमान के अनुसार मंगलवार को सभी परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को एकलव्य स्टेडियम में होने वाले जिला स्तरीय योग दिवस के कार्यक्रम में बुला लिया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि विद्यालयों में पढ़ाई कैसे होगी। इस बाबत जब कुछ अफसरों से बात की गई तो कहा गया कि ऐसा नहीं है। एक शिक्षक और शिक्षामित्र को छोड़कर योग दिवस में अध्यापकों को बुलाया गया है। अगर यह भी सही है तो प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक से पांच तक के बच्चों की और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा छह से आठ तक के छात्रों की पढ़ाई कैसे होगी।
शिक्षक भी है दुविधा में
जिला प्रशासन के फरमान से परिषदीय विद्यालयों के शिक्षक दुविधा में हैं। दुविधा इस बात की है कि कैसे एक साथ विद्यालय खुले रखें और योग दिवस के कार्यक्रम में भी शामिल हो। खास बात है कि जिला प्रशासन की ओर से शिक्षकों की सूची भी नहीं मांगी गई है। अगर सूची मांगी जाती तो उस हिसाब से नाम भेज दिया जाता। इससे उन्हें परेशानी का सामना न करना पड़ता। कई शिक्षकों में दुविधा इस बात की है कि योग दिवस के कार्यक्रम में ना पहुंचने पर कहीं उनके खिलाफ कार्रवाई ना हो जाए और योग दिवस के कार्यक्रम में चले गए तो विद्यालय बंद होने पर भी उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
काश ऐसा होता तो अच्छा होता
शिक्षकों को स्कूल छोड़कर योग दिवस के कार्यक्रम में पहुंचने को तुगलकी फरमान की संज्ञा दी जा रही है। कई शिक्षकों ने कहा कि अगर जिला प्रशासन सभी परिषदीय विद्यालयों में योग दिवस का कार्यक्रम आयोजित करने का आदेश देता तो एक विशेष रिकॉर्ड बन सकता था। एक साथ सभी विद्यालयों में योग दिवस का कार्यक्रम भी हो जाता और नया रिकॉर्ड बनाया जा सकता था, लेकिन ऐसा ना कर शिक्षकों को बुलवाकर विद्यालयों को बंद करने की नींव डाल दी गई है।
इस बेहतर तरीके से योग दिवस को सफल बनाया जा सकता था
जिले के समस्त परिषदीय विद्यालयों से एक शिक्षक को योगा की ट्रेनिंग देते हुए योगा के प्राथमिक उद्देश्यों को बताते हुए ट्रेंड किया जा सकता था जिसके बाद यह शिक्षक अपने अपने विद्यालय में शिक्षकों सहित बच्चों को योग दिवस के दिन योगा कराने में सक्षम हो पाते। यह करने से विद्यालय में पठन-पाठन कार्य भी प्रभावित नहीं होता और बच्चों को भी योग के बारे में जानकारी प्राप्त होती। विद्यालय में कुछ नया होता तो बच्चों की रुचि भी देखने को मिलती और समाज को एक नई दिशा और दशा भी मिल पाती।