प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्वानाथ कॉरिडोर बनने के बाद से लाखों लोगों का रोजाना यहां आगमन हो रहा है। इसी को देखते हुए इंफ्रास्ट्रचर में तेजी से बदलाव हो रहा है। सड़कों का चौड़ीकरण से लेकर तमाम विकास के कार्य हो रहे हैं। ज्यादातर लोग गंगा घाट जरूर जाना चाहते हैं। इसी को देखते हुए रामनगर से राजघाट तक गंगा के समानांतर लगभग आठ किमी लंबी फोरलेन सड़क बनेगी। इस सड़क से चंदौली, मिर्जापुर, बिहार और मध्यप्रदेश से आने वाले लोग बिना नगर में प्रवेश किए सीधे गंगा घाट पहुंच जाएंगे।
वहीं, श्रीकाशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग परियोजना के पहले चरण के लिए 500 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हो गया है। लोक निर्माण विभाग ने लगभग 2472 करोड़ रुपये की परियोजना को धरातल पर उतारने का खाका तैयार कर लिया है। परियोजना के लिए 28.63 हेक्टेयर जमीन की जरूरत पड़ेगी। इसके अधिग्रहण पर 383 करोड़ खर्च होंगे। सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण पर 369 करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
ज्योतिर्लिंग परियोजना शुरू करने से पहले पीडब्ल्यूडी ने अनापत्ति प्रमाणपत्र के लिए गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई, सिंचाई, वन, रक्षा संपदा, रेलवे बोर्ड, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत 14 विभागों से संपर्क साधा है। केंद्रीय जल बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिल गया है।
शीघ्र होगा जमीन अधिग्रहण
वाराणसी में परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण शीघ्र शुरू होगा। कोदोपुर, रामनगर, कटेसर और डोमरी इलाके में जमीन खरीदी जाएगी। इसके लिए राजस्व विभाग को पत्र लिखा गया है। लगभग छह महीने पहले से तीनों गांवों में जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगी है। वहीं, कटेसर से दशाश्वमेघ घाट तक प्रस्तावित 1026 मीटर लंबे सिग्नेचर ब्रिज की डिजाइन बदली गई है। अब यह लक्ष्मण झूला की तर्ज पर नहीं बनेगा।