पशु चिकित्सा अधिकारी ने खोली पुलिस की पोल,कहा नही हुआ पोस्टमार्टम
पुलिस ने ट्विटर पर दिया था भ्रामक जवाब
इब्राहिमपुर पुलिस की करतूत से धूमिल हो रही है सरकार की छवि
अम्बेडकरनगर। हाई प्रोफाइल कथित गोकशी मामले में पुलिस बुरी तरीके से फंसते जा रही है। पुलिस के एक झूठ ने पूरे महकमे को कटघरे में खड़ा कर दिया है। जब गोकशी का मामला सलाम इंडिया टि्वटर हैंडल पर प्रकाशित हुआ तो अंबेडकरनगर पुलिस के अधिकृत ट्विटर हैंडल से कहा गया कि पशु चिकित्सक द्वारा पोस्टमार्टम कराया गया है। जब मामला आगे बढ़े तो पशु चिकित्सक ने पुलिस के इस बयान को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि मेरे द्वारा किसी भी प्रकार का पोस्टमार्टम नहीं किया गया है और ना ही पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट दी गई है। चिकित्सक का बयान आने के बाद स्थानीय पुलिस में हड़कंप मच गया क्योंकि पशु चिकित्सक ने उस झूठ से पर्दा हटाया था जिसके बलबूते पर पुलिस लड़ाई लड़ रही थी। टि्वटर हैंडल पर अंबेडकरनगर पुलिस का भ्रामक जवाब आने के बाद सलाम इंडिया टीम द्वारा पशु चिकित्सा अधिकारी पंकज सिंह से वार्ता की गई जिसमें उन्होंने बताया कि 17 अप्रैल को ढेलमउ गांव में घाघरा नदी के किनारे के इलाके में गोवंश के अवशेष मिले थे पुलिस की सूचना पर हमारी टीम वहां गई और परीक्षण करते हुए मीट एग्जामिनेशन रिपोर्ट संबंधित थाने की पुलिस को सौंप दिया। पोस्टमार्टम वाली बात पर उन्होंने कहा कि बिना एफआईआर के आगे की प्रक्रिया तय नहीं की जा सकती क्योंकि संदिग्ध परिस्थितियों में मिले गोवंश के अवशेष से वह तंत्र गायब थे जिससे पोस्टमार्टम कर त्वरित कुछ निर्णय पर पहुंचा जा सके। उधर पुलिस एफआईआर करने को तैयार नहीं है। क्षेत्र में इस कथित गोकशी को लेकर तमाम प्रकार के चर्चाओं का बाजार गर्म है। जब पशु चिकित्सक से गोवंश की मृत्यु का कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बिना लैब रिपोर्ट के कुछ कहना उचित नहीं है, जब पुलिस एफआईआर की कॉपी हमें देगी उसके बाद ही हम सैंपल जांच के लिए लैब को भेज पाएंगे। चिकित्सक के जवाब से पुलिस के करतूतों पर से पर्दा उठ गया है और पुलिस की अच्छी खासी फजीहत भी क्षेत्र में हो रही है। निकाय चुनाव की सरगर्मी के बीच कथित गोकशी की घटना ने क्षेत्र को झकझोर के रख दिया है। पुलिस के इस लापरवाही से सरकार की छवि धूमिल हो रही है जिसका असर निकाय चुनाव पर पड़ सकता है क्योंकि यह जिस क्षेत्र की घटना है वह इलाका इल्तिफातगंज नगर पंचायत क्षेत्र में आता है। जहां पर इस घटना के बाद भाजपा का विरोध भी अंदरुनी तरह से देखने को मिल रहा है।
उक्त प्रकरण में अम्बेडकरनगर पुलिस द्वारा ट्विटर पर दिया गया बयान मजाकिया नजर आ रहा है जिसमें पुलिस ने कहा है कि संबंधित गाय को जंगली जानवर द्वारा प्रहार कर मृत कर दिया गया था और मृत शरीर का कुछ हिस्सा जानवर खा गए थे जिसके पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई अपराधिक घटना का संकेत नहीं मिला। पुलिस का यह बयान हकीकत से एक दम इतर दिखाई दे रहा है। अब सोचने की बात यह कि गौवंश के सीने की हड्डी एक साधारण जा जंगली जानवर कैसे तोड़कर खा सकता है और इस तरह खाए कि उस स्थान पर उसके सीने के हड्डी के अवशेष तक न मिलें दूसरी बात उस गोवंश के मुह और कान को किस उद्देश्य से जंगली जानवरों ने छोड़ रखा था जिसपर एक खरोच के निशान तक नहीं थे और तो और गोवंश के घुटने के ऊपरी परत को जंगली जानवरों ने निकाला लेकिन मांस को नहीं खाया यह कैसे संभव है साहब वायरल छाया चित्रों को देखा जाय तो गोवंश के गले को धारदार हथियार से काटे जाने की पूरी संभावना लग रही है साहब यहाँ तो शेर चीता या तेंदुए जैसे मासाहारी जानवर तो पाए नहीं जाते की हड्डी और मांस के साथ-साथ जांत तक के अवशेष को भी गायब कर दें। अब कहना यह है कि इस प्रकरण की पारदर्शिता के साथ उच्च स्तरीय जांच कराई जाय तो दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा।