क्या स्थानीय पुलिस की लापरवाही नही
सपा विधायक और नव निर्वाचित निकाय अध्यक्ष समेत एक हजार के विरुद्ध दर्ज है मुकदमा
अम्बेडकरनगर। नगर पंचायत चुनाव परिणाम आने बाद इल्तिफातगंज नगर में पुलिस की लापरवाही से बवाल हुआ जिसके बाद भारी पुलिस बल के साथ हंसवर थानाध्यक्ष प्रमोद सिंह को इल्तिफातगंज भेजा गया और इन्होंने सूझबूझ का परिचय देते हुए स्थिति सामान्य किया। मामले में सपा विधायक लालजी वर्मा समेत नव निर्वाचित नगर पंचायत अध्यक्ष समा परवीन,निजाम अहमद और एक हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया गया है। जिसमें से 15 लोग जेल भेजे जा चुके हैं। बताया जाता है कि अगर पुलिस एक्टिव रहती तो यह बवाल नहीं होता। जब यह बवाल हुआ तब स्थानीय पुलिस नव निर्वाचित नगर पंचायत अध्यक्ष समा परवीन के करीब थी इसमें कोई संदेह नहीं है। जब समा परवीन को पुलिस उनके घर छोड़कर निकली तो जानकारी लगी की भाजपा प्रत्याशी रेनू कशौधन के घर के सामने उपद्रवियों ने हंगामा कर दिया। आखिर चंद सेकेंड में पुलिस वहां कैसे पहुंच गई यह सवाल सभी के मन में आज भी जिंदा है। अगर पुलिस घटना स्थल से इतनी करीब थी तो यह बवाल हुआ कैसे? वायरल वीडियो में पुलिस की सारी कमियां स्पष्ट दिख रही है। लोगों का कहना तो यह भी है कि सब सुनियोजित ढंग से किया गया है हालांकि सच्चाई कितनी यह तो जांच में ही स्पष्ट होगा। भाजपा नेताओं की माने तो बवाल करने वाले सभी एक समुदाय विशेष के थे लेकिन जब यह बवाल हिंदू- मुस्लिम का रूप लेने लगा तो प्रशासन के भी हाथ पांव फूलने लगे। घटना की रात लगभग दो बजे तक पुलिस के बूटों की आवाज लोगों के कानों तक स्पष्ट पहुंच रही थी। अगले दिन इल्तिफात गंज की सभी दुकानें बंद थी लोगों ने गिरफ्तारी जमकर विरोध प्रदर्शन किया। जब स्थिति तनाव पूर्ण हो गई तो हंसवर थाना प्रभारी प्रमोद कुमार सिंह को इल्तिफ़ातगंज की सभी दुकानें खुलवाने के लिए के लिए भेजा गया। जिन्होंने सभी को समझा बुझा कर स्थिति को नियंत्रण में किया। सूत्र बताते हैं इब्राहिमपुर थानाध्यक्ष सुनील पाण्डेय की कार्यशैली पर प्रशासन को भरोसा नहीं था। बिना किसी भारी पुलिस बल के स्थिति नियंत्रण में करके प्रमोद सिंह ने अपनी बुद्धिमानी का परिचय दिया। इल्तिफ़ातगंज में अभी भी पुलिस बल तैनात है।
बवाल को दावत देने वाले थानाध्यक्ष पर कार्यवाही शून्य
कहा जाता है कि मीरापुर बभनपुरा में भी नारेबाजी हुई थी लेकिन इब्राहिमपुर थानाध्यक्ष लापरवाह बने रहे। पर्याप्त मात्रा में इन्हे फोर्स तैनात करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नव निर्वाचित नगर अध्यक्ष को घर छोड़कर पुलिस को भाजपा प्रत्याशी के घर के सामने की स्थिति को भी देखना चाहिए था गस्त करना चाहिए था लेकिन यहां ऐसा भी नही किया गया जिसका परिणाम यह बवाल सामने आया। उधर भाजपा प्रत्याशी रेनू कशौधन के पति अजय मोदी ने कहा कि उपद्रवी मंदिर और उनका घर तोड़ने की बात कर रहे थे। थानाध्यक्ष का लोगों को समझते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसमें इनका नौसिखियापन साफ झलक रहा है। इस बवाल में थानाध्यक्ष की कमी साफ झलक रही है लेकिन इनपर अभी तक कोई कार्यवाही सुनिश्चित नही की गई है जिसको लेकर सरकार की छवि धूमिल हो रही है।
सपा विधायक पर दर्ज हुआ मुकदमा तो जनाधार को मिली संजीवनी
उधर सपा विधायक पर मुकदमा दर्ज होने के बाद राजनीति के गलियारों में हलचल मचा हुआ है। बताते हैं कि जो पंद्रह लोग जेल भेजे गए हैं उनसे मिलने लालजी वर्मा कोर्ट गए हुए थे साथ ही उनकी बात प्रशासन से भी हुई है। सत्ता और विपक्ष के लोग कटेहरी के एक भाजपा नेता के कृत्य से नाराज भी हैं कहा जाता है कि हार की खीझ निकालने के लिए सपा विधायक पर मुकदमा कराया गया। लेकिन जाने अंजाने में मुकदमा दर्ज होने पर लालजी वर्मा के जनाधार के लिए संजीवनी साबित हुआ है।